धूलि में तुम मुझे भर दो
धूलि में तुम मुझे भर दो। धूलि-धूसर जो हुए पर उन्हीं के वर वरण कर दो दूर हो अभिमान, संशय, वर्ण-आश्रम-गत महामय, जाति-जीवन हो निरामय वह सदाशयता प्रखर दो। फूल जो तुमने खिलाया, सदल क्षिति में ला मिलाया, मरण से जीवन दिलाया सुकर जो वह मुझे वर दो।

Read Next