चलीं निशि में तुम, आईं प्रात
चलीं निशि में तुम आई प्रात; नवल वीक्षण, नवकर सम्पात, नूपुर के निक्वण कूजे खग, हिले हीरकाभरण, पुष्प मग, साँस समीरण, पुलकाकुल जग, हिले पग जलजात।

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