घन आये घनश्याम न आये।
घन आये घनश्याम न आये। जल बरसे आँसू दृग छाये। पड़े हिंडोले, धड़का आया, बढ़ी पैंग, घबराई काया, चले गले, गहराई छाया, पायल बजे, होश मुरझाये। भूले छिन, मेरे न कटे दिन, खुले कमल, मैंने तोड़े तिन, अमलिन मुख की सभी सुहागिन, मेरे सुख सीधे न समाये।

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