पथ पर बेमौत न मर
पथ पर बेमौत न मर, श्रम कर तू विश्रम-कर। उठा उठा करद हाथ, दे दे तू वरद साथ, जग के इस सजग प्रात पात-पात किरनें भर। बढ़ा बढ़ा कर के तन, जगा जगा निश्चेतन, भगा भीरु जीवन-रण सर-सर से उभर सुघर। चलते चलते छुटकर द्रुम की मधुलता उतर विधुर स्पर्श कर पथ पर युवा-युवतियों के सर।

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