तू दिगम्बर विश्व है घर
ज्ञान तेरा सहज वर कर।
शोकसारण करणकारण,
तरणतारण विष्णु-शंकर।
अमित सित के असित चित के
त्वरित हित के राम वानर,
लक्षणासन संग लक्ष्मण
वासनारण-प्रहर-खर-शर।
गति अनाहत, तू सखा मत,
सहज संयत, रे अकातर,
ध्यान के सम्मान में रत
ज्ञान के शतपथ-चराचर।