उनसे-संसार, भव-वैभव-द्वार
उनसे-संसार, भव-वैभव-द्वार। समझो वर निर्जर रण; करो बार बार स्मरण, निराकार करण-हरण, शरण, मरणपार। रवि की छवि के प्रभात, ज्योति के अदृश्य गात, गन्ध-मन्द-पवन-जात, उर-उर के हार।

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