मुदे नयन, मिले प्राण,
मुदे नयन, मिले प्राण, हो गया निशावसान। जगते-जग के कलरव सोये, उर के उत्सव मन्द हुए स्पन्दित जब, मिले कण्ठ-कण्ठ गान। एक हुए दोनें वर ईश्वर के अविनश्वर, पार हुए घर-प्रान्तर, अन्तर में निरवमान! ज्ञान-सूत्र में मिलकर स्वर्ग से चढ़े ऊपर, जहाँ नहीं नर, न अमर, सुन्दरता का विधान।

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