क्या सुनाया गीत कोयल!
क्या सुनाया गीत, कोयल! समय के समधीत, कोयल! मंजरित हैं कुंज, कानन, जानपद के पुंज-आनन, वर्ष के कर हर्ष के शर बिंध गया है शीत, कोयल! कामना के नयन वंचित, रुचिर रचनाकरों-संचित, मधुर मधु का तथ्य, अथवा पथ्य है नवनीत, कोयल!

Read Next