वासना-समासीना, महती जगती दीना
वासना-समासीना, महती जगती दीना। जलद-पयोधर-भारा, रवि-शशि-तारक-हारा, व्योम-मुखच्छबिसारा शतधारा पथ-हीना। ॠषिकुल-कल-कण्ठस्तुति, दिव्य-शस्य-सकलाहुति, निगमागम-शास्त्रश्रुति रासभ-वासव-वीणा।

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