तुमसे जो मिले नयन
तुमसे जो मिले नयन, दूर हुए दुरित-शयन। खिले अंग-अंग अमल सर के पातः-शतदल पावन-पवनोत्कल-पल, अलक-मन्द-गन्ध-वयन। खग-कुल कल-कण्ठ-राग फूटे नग, नगर, बाग, अधर-विधुर छुटे दाग, कर-कर सित-सुमन-चयन। अखिल के न खिले हुए, खले हिले-मिले हुए, एक ताग सिले हुए आये हो एक अयन।

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