Poets
Poetry
Books
Log in
Poets
Poetry
Books
Poetry
/
सुरतरु वर शाखा
सुरतरु वर शाखा
Nirala
#
Hindi
सुरतरु वर शाखा खिली पुष्प-भाषा। मीलित नयनों जपकर तन से क्षण-क्षण तपकर तनु के अनुताप प्रखर, पूरी अभिलाषा। बरसे नव वारिद वर, द्रुम पल्लव-कलि-फलभर आनत हैं अवनी पर जैसी तुम आशा। भावों के दल, ध्वनि, रस भरे अधर-अधर सुवश, उघरे, उर-मधुर परस, हँसी केश-पाशा।
Share
Read later
Copy
Last edited by
abhishek
January 14, 2017
Added by
Chhotaladka
January 14, 2017
Similar item:
www.kavitakosh.org
Views:
12,234,002
Feedback
Read Next
Loading suggestions...
Show more
Cancel
Log in