Poets
Poetry
Books
Log in
Poets
Poetry
Books
Poetry
/
तन, मन, धन वारे हैं
तन, मन, धन वारे हैं
Nirala
#
Hindi
तन, मन, धन वारे हैं; परम-रमण, पाप-शमन, स्थावर-जंगम-जीवन; उद्दीपन, सन्दीपन, सुनयन रतनारे हैं। उनके वर रहे अमर स्वर्ग-धरा पर संचर, अक्षर-अक्षर अक्षर, असुर अमित मारे हैं। दूर हुआ दुरित, दोष, गूंज है विजय-घोष, भक्तों के आशुतोष, नभ-नभ के तारे हैं।
Share
Read later
Copy
Last edited by
Chhotaladka
January 14, 2017
Added by
Chhotaladka
January 14, 2017
Similar item:
www.kavitakosh.org
Views:
12,234,002
Feedback
Read Next
Loading suggestions...
Show more
Cancel
Log in