तन, मन, धन वारे हैं
तन, मन, धन वारे हैं; परम-रमण, पाप-शमन, स्थावर-जंगम-जीवन; उद्दीपन, सन्दीपन, सुनयन रतनारे हैं। उनके वर रहे अमर स्वर्ग-धरा पर संचर, अक्षर-अक्षर अक्षर, असुर अमित मारे हैं। दूर हुआ दुरित, दोष, गूंज है विजय-घोष, भक्तों के आशुतोष, नभ-नभ के तारे हैं।

Read Next