वेदना बनी, मेरी अवनी।
वेदना बनी; मेरी अवनी। कठिन-कठिन हुए मृदुल पद-कमल विपद संकल भूमि हुई शयन-तुमुल कण्टकों घनी। तुमने जो गही बांह, वारिद की हुई छांह, नारी से हुईं नाह, सुकृत जीवनी। पार करो यह सागर दीन के लिए दुस्तर, करुणामयि, गहकर कर, ज्योतिर्धमनी।

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