हरि का मन से गुणगान करो
हरि का मन से गुणगान करो, तुम और गुमान करो, न करो। स्वर-गंगा का जल पान करो, तुम अन्य विधान करो, न करो। निशिवासर ईश्वर ध्यान करो, तुम अन्य विमान करो, न करो। ठग को जग-जीवन-दान करो, तुम अन्य प्रदान करो, न करो। दुख की निशि का अवसान करो, उपमा, उपमान करो, न करो। प्रिय नाह की बांह का थान करो, तुम और वितान करो, न करो।

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