तिमिर दारण मिहिर दरसो
तिमिरदारण मिहिर दरसो। ज्योति के कर अन्ध कारा- गार जग का सजग परसो। खो गया जीवन हमारा, अन्धता से गत सहारा; गात के सम्पात पर उत्थान देकर प्राण बरसो। क्षिप्रतर हो गति हमारी, खुले प्रति-कलि-कुसुम-क्यारी, सहज सौरभ से समीरण पर सहस्रों किरण हरसों।

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