दीप जलता रहा
दीप जलता रहा, हवा चलती रही; नीर पलता रहा, बर्फ गलती रही। जिस तरह आग वन में लगी हुई है,-- एकता में सरस भास है--दुई है,-- सत्य में भ्रम हुआ है,-- छुईमुई है, मान बढ़ता रहा, उम्र ढलती रही। समय की बाट पर, हाट जैसे लगी,-- मोल चलता रहा, झोल जैसे दगी,-- पलक दल रुक गये, आँख जैसे लगी,-- काल खुलता रहा

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