साधो मग डगमग पग
साधो मग डगमग पग, तमस्तरण जागे जग। शाप-शयन सो-सोकर, हुए शीर्ण खो-खोकर, अनवलाप रो-रोकर हुए चपल छलकर ठग। खोलो जीवन बन्धन, तोलो अनमोल नयन, प्राणों के पथ पावन, रँगो रेणु के रँग रग।

Read Next