शिविर की शर्वरी
शिविर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी। ऐसी दशा विश्व की विमल लोचनों देखी, जगा त्रास, हृदय संकोचनों कांपा कि नाची निराशा दिगम्बरी। मातः, किरण हाथ प्रातः बढ़ाया कि भय के हृदय से पकड़कर छुड़ाया, चपलता पर मिली अपल थल की तरी।

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