लगी लगन, जगे नयन
लगी लगन, जगे नयन; हटे दोष, छुटा अयन; दुर्मिल जो कुछ ऊर्मिल मिल-मिलकर हुआ अखिल, घुल-घुलकर कुल पंकिल घुला एक रस अशयन। छुटे सभी विषम बन्ध विषमय वासना-अन्ध; संशय की गई गन्ध; शय-निश्चय किया चयन। कामना विलीन हुई,-- सभी अर्थ क्षीण हुई, उद्धत शिति दीन हुई, दिखा नवल विश्व-वयन।

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