पावन करो नयन !
रश्मि, नभ-नील-पर, सतत शत रूप धर, विश्व-छवि में उतर, लघु-कर करो चयन ! प्रतनु, शरदिन्दु-वर, पद्म-जल-बिन्दु पर, स्वप्न-जागृति सुघर, दुख-निशि करो शयन !

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