वारिद वंदना
मेरे जीवन में हँस दीं हर वारिद-झर! ऐ आकुल-नयने! सुरभि, मुकुल-शयने! जागीं चल-श्यामल पल्लव पर छवि विश्व की सुघर! पावन-परस सिहरीं, मुक्त-गन्ध विहरीं, लहरीं उर से उर दे सुन्दर तनु आलिंगन कर! अपनापन भूला, प्राण-शयन झूला, बैठीं तुम, चितवन से संचर छाये घन अम्बर!

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