जवानी का झण्डा
घटा फाड़ कर जगमगाता हुआ आ गया देख, ज्वाला का बान; खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा, ओ मेरे देश के नौजवान! सहम करके चुप हो गये थे समुंदर अभी सुन के तेरी दहाड़, जमीं हिल रही थी, जहाँ हिल रहा था, अभी हिल रहे थे पहाड़; अभी क्या हुआ? किसके जादू ने आकर के शेरों की सी दी जबान? खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा, ओ मेरे देश के नौजवान! खड़ा हो, कि पच्छिम के कुचले हुए लोग उठने लगे ले मशाल, खड़ा हो कि पूरब की छाती से भी फूटने को है ज्वाला कराल! खड़ा हो कि फिर फूँक विष की लगा धुजटी ने बजाया विषान, खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा, ओ मेरे देश के नौजवान! गरज कर बता सबको, मारे किसीके मरेगा नहीं हिन्द-देश, लहू की नदी तैर कर आ गया है, कहीं से कहीं हिन्द-देश! लड़ाई के मैदान में चल रहे लेके हम उसका उड़ता निशान, खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा, ओ मेरे देश के नौजवान! अहा! जगमगाने लगी रात की माँग में रौशनी की लकीर, अहा! फूल हँसने लगे, सामने देख, उड़ने लगा वह अबीर अहा! यह उषा होके उड़ता चला आ रहा देवता का विमान, खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा, ओ मेरे देश के नौजवान!

Read Next