दिनकर
पूछता हूँ मैं तुझे दिनकर! कि तू क्या कर रहा है? राजनगरी में पड़ा क्यो दिन गँवाता है? दौड़ता फिरता समूचे देश में किस फेर में तू? छाँह में अब भी नहीं क्यों बैठ जाता है?

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