जयप्रकाश
लोग कहते हैं कि तुम हर रोज भटके जा रहे हो, और यह सुन कर मुझे भी खेद होता है। पर, तुरत मेरे हृदय का देवता कहता, चुप रहो, मंत्रित्व ही सब कुछ नहीं है।

Read Next