आँसू
खिड़की के शीशे पर कोई बूँद पड़ी है; अर्द्धरात्रि में यह आँसू किसका टपका है? देख न सकता तुम्हें, किन्तु, ओ रोनेवाले! रजनी हो दीर्घायु भले, पर, अमर नहीं है। अरुण-बिन्दु-धारिणी उषा आती ही होगी।

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