नाटक
समय तुरत क्यों हो जाता उड्डीन, प्रेमी का अभिनय जब हम करते हैं? और मंच क्यों हो जाता संकीर्ण, कभी सन्त का बाना यदि धरते हैं? किन्तु, विदूषक बनने पर भगवान! जानें, क्यों यह जगह फैल जाती है! और हमारा करने को सम्मान सभा रात भर बैठी रह जाती है!

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