सत्य और तथ्य
आँख मूँद कर छूता हूँ जब शिला-खण्ड को, मन कहता है आप ही आप, यह तथ्य है। आँख मूँद कर छूता हूँ जब नभ अखण्ड को, मन कहता है आप ही आप, यह सत्य है।

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