परोपदेश
औरों को उपदेश सुनाना चुम्बन-सा ही है यह काम, खर्च नहीं इसमें कुछ पड़ता, मन को मीठा लगता है। आयु के दो भाग हैं, पहली उमर में आदमी रस-भोग में आनन्द लेता है। और जब पिछ्ली उमर आरम्भ हो जाती, वह सभी को त्याग का उपदेश देता है।

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