आलस्य
मेल बैठता नहीं सदा दर्शन-जीवन का। कहते हैं, आलस्य बड़ा भारी दुर्गुण है। किन्तु, आलसी हुए बिना कब सुख मिलता है? और मोददायिनीं वस्तुएँ सभी व्यर्थ हैं। फूल और तारे, इनका उपयोग कौन हैं?

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