श्रम
स्वर्ग की सुख-शान्ति है आराम में, किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में। सुख क्या है, पूछ श्रम-निरत किसान से; पूछता है बात क्या तू बाबू-बबुआन से?

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