आशा
सारी आशाएँ न पूर्ण यदि होती हों, तब भी अंचल छोड़ नहीं आशाओं के। मर गया होता कभी का आपदाओं की कठिनतम मार से, यदि नहीं आशा श्रवण में नित्य यह संदेश देती प्यार से-- "घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है। आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"। सभी दुखों की एक महौषधि धीरज है, सभी आपदाओं की एक तरी आशा।

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