चीनी कवि
वेणुवन की छाँह में बैठा अकेला मैं कभी बंसी, कभी सीटी बजाता हूँ। खूब खुश हूँ, आदमी कोई नहीं आता। चाँद केवल रात में आ झाँकता है। सूर्य, पर, दिन में चला जाता बिना देखे। कौन दे उसको खबर इस कुंज में कोई छिपा है?

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