हुंकार (कविता)
सिंह की हुंकार है हुंकार निर्भय वीर नर की। सिंह जब वन में गरजता है, जन्तुओं के शीश फट जाते, प्राण लेकर भीत कुंजर भागता है। योगियों में, पर, अभय आनन्द भर जाता, सिंह जब उनके हृदय में नाद करता है।

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