प्रफुल्लता
धूप चाहते हो घर में तो हँसो-हँसाओ, मग्न रहो, हरदम ज्ञानी बने रहे यदि तो बदली घिर जायेगी। प्रसाधन कौन-सा है निष्कपट आनन्द से बढ़कर? प्रफुल्लित पुष्प-सी हँसती रहो, इतना अलम है। मसाले लेप कर क्यों गाल को पंकिल बनाती हो?

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