आलोचक
रचना में क्या-क्या गुण होने चाहिए, कूद-फाँदकर भी तुम नहीं बताते हो। पर, रचना के दुर्गुण अपनी ही कृति में कदम-कदम पर खूब दिखाये जाते हो। मैं अगर कुछ बोलता हूँ, तुम उसे अपराध क्यों कहते? मक्खियाँ जब बैठती हैं, सिंह भी रोयें हिलाता है।

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