कविता और प्रेम
ऊपर सुनील अम्बर, नीचे सागर अथाह, है स्नेह और कविता, दोनों की एक राह। ऊपर निरभ्र शुभ्रता स्वच्छ अम्बर की हो, नीचे गभीरता अगम-अतल सागर की हो।

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