नर-नारी
क्या पूछा, है कौन श्रेष्ठ सहधर्मिणी? कोई भी नारी जिसका पति श्रेष्ठ हो। कई लोग नारी-समाज की निन्दा करते रहते हैं। मैं कहता हूँ, यह निन्दा है किसी एक ही नारी की। पुरुष चूमते तब जब वे सुख में होते हैं, हम चूमती उन्हें जब वे दुख में होते हैं। तुम पुरुष के तुल्य हो तो आत्मगुण को छोड़ क्यों इतना त्वचा को प्यार करती हो? मानती नर को नहीं यदि श्रेष्ठ निज से तो रिझाने को किसे श्रृंगार करती हो? कच्ची धूप-सदृश प्रिय कोई धूप नहीं है, युवती माता से बढ़ कोई रूप नहीं है। अच्छा पति है कौन? कान से जो बहरा हो। अच्छी पत्नी वह, न जिसे कुछ पड़े दिखायी। नर रचते कानून, नारियाँ रचती हैं आचार, जग को गढ़ता पुरुष, प्रकृति करती उसका श्रृंगार। रो न दो तुम, इसलिये, मैं हँस पड़ी थी, प्रिय! न इसमें और कोई बात थी। चाँदनी हँस कर तुम्हें देती रही, पर, जिन्दगी मेरी अँधेरी रात थी। औरतें कहतीं भविष्यत की अगर कुछ बात, नर उन्हें डाइन बताकर दंड देता है। पर, भविष्यत का कथन जब नर कहीं करता, हम उसे भगवान का अवतार कहते हैं।

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