कसौटी
तिरस्कार कालिमा कलित हैं, अविश्वास-सी पिच्छल हैं। कौन कसौटी पर ठहरेगा? किसमें प्रचुर मनोबल है? तपा चुके हो विरह वह्नि में, काम जँचाने का न इसे। शुद्ध सुवर्ण हृदय है प्रियतम! तुमको शंका केवल है॥ बिका हुआ है जीवन धन यह कब का तेरे हाथो मे। बिना मूल्य का , हैं अमूल्य यह ले लो इसे, नही छल हैं। कृपा कटाक्ष अलम् हैं केवल, कोरदार या कोमल हो। कट जावे तो सुख पावेगा, बार-बार यह विह्वल हैं॥ सौदा कर लो बात मान लो, फिर पीछे पछता लेना। खरी वस्तु हैं, कहीं न इसमें बाल बराबर भी बल हैं ॥

Read Next