कितने दिन जीवन जल-निधि में
कितने दिन जीवन जल-निधि में - विकल अनिल से प्रेरित होकर    लहरी, कूल चूमने चल कर     उठती गिरती सी रुक-रुक कर      सृजन करेगी छवि गति-विधि में ! कितनी मधु- संगीत- निनादित    गाथाएँ निज ले चिर-संचित      तस्ल तान गावेगी वंचित  !       पागल - सी इस पथ निरवधि में! दिनकर हिमकर तारा के दल   इसके मुकुर वक्ष में निर्मल    चित्र बनायेंगे निज चंचल !      आशा की माधुरी अवधि में !

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