विनय
बना लो हृदय-बीच निज धाम करो हमको प्रभु पूरन-काम शंका रहे न मन में नाथ रहो हरदम तुम मेरे साथ अभय दिखला दो अपना हाथ न भूलें कभी तुम्हारा नाम बना लो हृदय-बीच निज धाम मिटा दो मन की मेरे पीर धरा दो धर्मदेव अब धीर पिला दो स्वच्छ प्रेममय नीर बने मति सुन्दर लोक-ललाम बना लो हृदय-बीच निज धाम काट दो ये सारे दुःख द्वन्द्व न आवे पास कभी छल-छन्द मिलो अब आके आनँदकन्द रहें तव पद में आठो याम बना लो हृदय-बीच निज धाम करो हमको प्रभु पूरन-काम

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