Poets
Poetry
Books
Log in
Poets
Poetry
Books
Poetry
/
मौन
मौन
Nirala
#
Hindi
बैठ लें कुछ देर, आओ, एक पथ के पथिक-से प्रिय, अंत और अनन्त के, तम-गहन-जीवन घेर। मौन मधु हो जाए भाषा मूकता की आड़ में, मन सरलता की बाढ़ में, जल-बिन्दु सा बह जाए। सरल अति स्वच्छ्न्द जीवन, प्रात के लघुपात से, उत्थान-पतनाघात से रह जाए चुप, निर्द्वन्द।
Share
Read later
Copy
Last edited by
Chhotaladka
August 10, 2016
Added by
Chhotaladka
June 19, 2016
Similar item:
www.kavitakosh.org
Views:
12,234,002
Feedback
Read Next
Loading suggestions...
Show more
Cancel
Log in