ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का है जहाँ में तुझ को
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का है जहाँ में तुझ को देख कर भी जो लिए हसरत-ए-दीदार चला

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