मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ जो भी मैं कहता गया हुस्न-ए-बयाँ बनता गया

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