नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में
नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में उजाले पाँव पटकने लगे हैं पानी में ये कोई और ही किरदार है तुम्हारी तरह तुम्हारा ज़िक्र नहीं है मिरी कहानी में अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे बड़े सवाब कमाए गए जवानी में चमकता रहता है सूरज-मुखी में कोई और महक रहा है कोई और रात-रानी में ये मौज मौज नई हलचलें सी कैसी हैं ये किस ने पाँव उतारे उदास पानी में मैं सोचता हूँ कोई और कारोबार करूँ किताब कौन ख़रीदेगा इस गिरानी में

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