ये नसीब-ए-शाइरी है ज़हे शान-ए-किब्रियाई
कि मिले न ज़िंदगी भर मुझे दाद-ए-ख़ुश-नवाई
ब-ख़ुदा अज़ीम-तर है शोहदा के ख़ून से भी
मिरे सीना-ए-क़लम में जो भरी है रौशनाई
ये अजीब माजरा है कि ख़दयू-ए-हफ़्त-क़ुल्ज़ूम
तरफ़-ए-सराब दौड़े पै-ए-क़िस्मत-आज़माई
फ़लक और उसे झुकाए सर-ए-मंज़िल-ए-सफ़ीहाँ
मलक आएँ जिस के दर पर ब-हवा-ए-जब्हा-साई
चमन-ए-शुऊर-ए-नौ को जो लहू से अपने सींचे
कभी उस को सुख न बख़्शे कोई पंजा-ए-हिनाई
हमा साज़ हूँ ब-ज़ाहिर हमा सोज़ हूँ ब-बातिन
मिरी ज़िंदगी बुकाई मिरी शाइरी ग़िनाई
मिरे तार ओ पौद लर्ज़ां ब-हवा-ए-ना-मुरादी
मिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल दरख़्शाँ ब-तबस्सुम-ए-रियाई
मिरा दिल है गिर्या मस्कन मिरे लब तराना मंज़िल
मिरी नय शिकस्त-ए-ख़ातिर मिरी लय है मोम्याई
मिरा जाम-ए-शब सुलेमाँ हमा ताज-ए-ख़ुसरवाना
मिरी चश्म-ए-रोज़ पैमा हमा कासा-ए-गदाई
मिरी बारगाह-ए-हस्ती हमा इज्ज़ बंदगाना
मिरी बारगाह-ए-मस्ती हमा सतवत-ए-ख़ुदाई
दर-ए-ख़ल्क़ पर झुका है न झुकेगा ता क़यामत
सर-ए-'जोश' में भरा है वो ग़ुरूर-ए-किब्रियाई