सरशार हूँ सरशार है दुनिया मिरे आगे
सरशार हूँ सरशार है दुनिया मिरे आगे कौनैन है इक लर्ज़िश-ए-सहबा मिरे आगे हर नज्म है इक आरिज़-ए-रौशन मिरे नज़दीक हर ज़र्रा है इक दीदा-ए-बीना मिरे आगे हर जाम है नज़्ज़ारा-ए-कौसर मिरे हक़ में हर गाम है गुलगश्त-ए-मुसल्ला मिरे आगे हर फूल है लाल-ए-शकर-अफ़्शाँ की हिकायत हर ग़ुंचा है इक हर्फ़-ए-तमन्ना मिरे आगे इक मज़हका है पुर्सिश-ए-उक़्बा मिरे नज़दीक इक वहम है अंदेशा-ए-फ़र्दा मिरे आगे हों कितनी ही तारीक शब-ए-ज़ीस्त की राहें इक नूर सा रहता है झलकता मिरे आगे मैं और डरूँ सौलत-ए-दुनिया-ए-दनी से ख़ुद लरज़ा-बर-अंदाम है दुनिया मिरे आगे झुकता है ब-सद इज्ज़ कलीसा मिरे दर पर आता है लरज़ता हुआ काबा मिरे आगे पैमाने से जिस वक़्त छलक जाती है सहबा लहराता है इक हुस्न का दरिया मिरे आगे जब चाँद झमकता है मिरे साग़र-ए-ज़र में चलता नहीं ख़ुर्शीद का दावा मिरे आगे जब झूम के मीना को उठाता हूँ घटा में हिलता है सर-ए-गुम्बद-ए-मीना मिरे आगे आती है दुल्हन बन के मशिय्यत की जिलौ में आवारगी-ए-आदम-ओ-हव्वा मिरे आगे पैमाने पे जिस वक़्त झुकाता हूँ सुराही झुकता है सर-ए-आलम-ए-बाला मिरे आगे पहलू में है इक ज़ोहरा-जबीं हाथ में साग़र इस वक़्त न दुनिया है न उक़्बा मिरे आगे 'जोश' उठती है दुश्मन की नज़र जब मिरी जानिब खुलता है मोहब्बत का दरीचा मिरे आगे

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