हर एक काँटे पे सुर्ख़ किरनें हर इक कली में चराग़ रौशन
हर एक काँटे पे सुर्ख़ किरनें हर इक कली में चराग़ रौशन ख़याल में मुस्कुराने वाले तिरा तबस्सुम कहाँ नहीं है

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