हम ऐसे अहल-ए-नज़र को सुबूत-ए-हक़ के लिए
हम ऐसे अहल-ए-नज़र को सुबूत-ए-हक़ के लिए अगर रसूल न होते तो सुब्ह काफ़ी थी

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