ग़ाफ़िल इतना हुस्न पे ग़र्रा ध्यान किधर है तौबा कर
ग़ाफ़िल इतना हुस्न पे ग़र्रा ध्यान किधर है तौबा कर आख़िर इक दिन सूरत ये सब मिट्टी में मिल जाएगी

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