यार अग़्यार हो गए हैं
और अग़्यार मुसिर हैं कि वो सब यार-ए-ग़ार हो गए हैं अब कोई नदीम-ए-बा-सफ़ा नहीं है सब रिंद शराब-ख़्वार हो गए हैं

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